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मन मर्ज़ियां देखने से पहले देखें ये रिव्यू

अगर आप तापसी पन्नू को पसंद करते हैं तो मनमर्ज़ियाँ देख सकते हैं। अगर आप विक्की कौशल को अभी तक पसंद नहीं करते तो मनमर्ज़ियाँ देख सकते हैं। अगर अभिषेक बच्चन से चिढ़ते हैं तो भी मनमर्ज़ियाँ देख सकते हैं, इस फ़िल्म में ठीक लगे हैं। मनमर्ज़ियाँ आप अमित त्रिवेदी के शानदार गानों और अच्छे बैकग्राउंड म्यूजिक के लिए भी देख सकते हैं। सिनेमेटोग्राफर सिल्वेस्टर फोंसेका ने जिस खूबसूरती से अमृतसर को जीवंत किया है, मनमर्ज़ियाँ आप इसके लिए तो ज़रूर देख सकते हैं।

इसके अलावे मनमर्ज़ियाँ देखने की और कोई वजह नहीं है। स्क्रिप्ट बेहद कमज़ोर है। एक-आध-दो जगह कुछ अच्छे पल आते हैं लेकिन बाकी वक़्त में ऐसा लगता है कि फ़िल्म को ज़बरदस्ती खींचा जा रहा हो। 20 मिनट बीतते-बीतते फ़िल्म में सब कुछ repetitive सा लगने लगता है।  फ़िल्म कुछ-कुछ, 'देव डी meets हम दिल दे चुके सनम' है। अभिषेक बच्चन को जैसे 'मैं प्रेम की दीवानी हूँ' से उठा कर पग पहना दिया गया है। फ़िल्म अनुराग कश्यप की नहीं बल्कि धर्मा प्रोडक्शन के किसी नए डायरेक्टर की लगती है।

1.5*/5

#Manmarziyan

(ये मेरी निजी राय है। अपने रिस्क पर देख सकते हैं।)

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